आदर्श मूर्तिकार - बोधकथा - Adarsh Murtikar | Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi | Hindi Bodh Katha | Bodhkatha - The Study Katta

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आदर्श मूर्तिकार - बोधकथा - Adarsh Murtikar | Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi | Hindi Bodh Katha | Bodhkatha

आदर्श मूर्तिकार - बोधकथा

Adarsh Murtikar Bodh Katha in Hindi

Moral Story in Hindi

Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi | Hindi Bodh Katha | Bodhkatha

            एक आदमी एक निर्माणधीन मंदिर को देखने गया। तभी उन्होंने देखा की एक मूर्तिकार भगवान् की मूर्ति बना रहा हैं। वो उसके पास गए और उसे काम करते देखने लगे। तभी उन्होंने ध्यान दिया की पास में ही हुबहू एक और मूर्ति पड़ी हुई हैं। उन्होंने पूछा “क्या तुम एक जैसी दो मूर्तियाँ बना रहे हो?” मूर्तिकार अपने काम में मग्न था। उसने बिना अपना सर उठाये ही कहा “नहीं”। “तो फिर तुम दो मूर्तियाँ क्यों बना रहे हो?” ” हमें एक ही मूर्ति चाहिए पर पहली मूर्ति बनाते वक़्त थोड़ी ख़राब हो गयी।” वो अभी भी अपना काम कर रहा था।

            उस आदमी ने मूर्ति को उठाया और जाचने लगा। पर उसे कोई भी खराबी नजर नहीं आई। “कहाँ से ख़राब हो गयी हैं ये? यह कहीं सामने लगने वाली है क्या? ” “नहीं ये तो मंदिर के बाहर 20 फीट ऊँचे खम्बे पर लगाने के लिए बनायीं गयी हैं।” ” अगर ये मूर्ति इतनी ऊपर लगने वाली है तो भला इतनी छोटी सी गलती को कोई कैसे देख लेता। तुम तो पहले वाली मूर्ति को ही रख सकते हो। किसे पता पड़ेगा?” इस बार मूर्तिकार ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर कहा ” मुझे तो पता होगा,और भगवान् को भी पता होगा।”

            तुम्हाला आदर्श मूर्तिकार - बोधकथा - Adarsh Murtikar | Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi | Hindi Bodh Katha | Bodhkatha ही माहिती नक्कीच आवडली असेल तर शेअर करा.

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