जैसे को तैसा - बोधकथा - Jaise Ko Taisa | Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi | Hindi Bodh Katha | Bodhkatha - The Study Katta

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जैसे को तैसा - बोधकथा

Jaise Ko Taisa Bodh Katha in Hindi

Moral Story in Hindi

Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi | Hindi Bodh Katha | Bodhkatha

            एक गुरु के दो शिष्य हमेशा लड़ते रहते थे। वे हमेशा एक-दूसरे को नीचा दिखने की कोशिश में लगे रहते।

            एक दिन गुरु ने उन्हें बुलाया और एक कथा सुनाई- एक बार एक जंगल में भैंस और घोड़े में लड़ाई हो गई। भैंस ने सींग मार- मारकर घोड़े को अधमरा कर दिया। घोड़े ने जब देख लिया कि वह भैंस से जीत नहीं सकता तब वह वहां से भागा। वह मनुष्य के पास पहुंचा।

            घोड़े ने उससे अपनी सहायता की प्रार्थना की। मनुष्य ने कहा- भैंस की बड़ी-बड़ी सींगें हैं,वह बहुत बलवान है। मैं उससे कैसे जीत सकूंगा? घोड़े ने समझाया- मेरी पीठ पर बैठ जाओ, एक मोटा डंडा ले लो। मैं जल्दी-जल्दी दौड़ता रहूंगा। तुम डंडे से मार-मारकर भैंस को अधमरी कर देना और फिर रस्सी से बांध देना। मनुष्य ने कहा- मैं उसे बांधकर भला क्या करुंगा ? घोड़े ने बताया- भैंस बड़ा मीठा दूध देती है। तुम उसे पी लिया करना। मनुष्य ने घोड़े की बात मान ली। बेचारी भैंस जब पिटते-पिटते गिर पड़ी, तब मनुष्य ने उसे बांध लिया। घोड़े ने काम समाप्त होने पर कहा-अब मुझे छोड़ दो मैं चरने जाऊंगा। मनुष्य जोर-जोर से हंसने लगा।

            उसने कहा-मैं तुमको भी बांध देता हूं। मैं नहीं जानता था कि तुम मेरे चढ़ने के काम आ सकते हो। मैं भैंस का दूध पीऊंगा और तुम्हारे उपर चढ़कर घूमा करूंगा। घोड़ा बहुत रोया और पछताया। पर अब क्या हो सकता था।

            कथा समाप्त कर गुरु बोले- तुम दोनों अगर एक-दूसरे के खिलाफ षडयंत्र करोगे तो कोई तीसरा आकर उसका लाभ उठा लेगा। जैसे घोड़े ने भैंस के साथ जो किया वैसा ही फल उसे खुद भोगना पड़ा। दोनों शिष्यों ने उस दिन से लड़ना बंद कर दिया।


            तुम्हाला जैसे को तैसा - बोधकथा - Jaise Ko Taisa | Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi | Hindi Bodh Katha | Bodhkatha ही माहिती नक्कीच आवडली असेल तर शेअर करा.

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