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मित्रता - बोधकथा

Mitrata Bodh Katha in Hindi

Moral Story in Hindi

Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi

            उषा ने पति अनिल से कहा,कितनी देर तक समाचार पत्र पढ़ते रहोगे? यहाँ आओ और अपनी प्यारी बेटी को खाना खिलाओ। अनिल ने समाचार पत्र एक तरफ़ फेका और बेटी ईशा की और ध्यान दिया। बेटी की आंखों में आँसू थे और सामने खाने की प्लेट। ईशा एक अच्छी लड़की है और अपनी उम्र के बच्चों से ज्यादा समझदार. अनिल ने खाने की प्लेट को हाथ में लिया और ईशा से बोला,बेटी खाना क्यों नहीं खा रही हो?.आ जाओ मैं खिलाता हूँ . ईशा जिसे खाना नहीं भा रहा था। सुबक सुबक कर रोने लगी और कहने लगी,मैं पूरा खाना खा लूँगी पर एक वादा करना पड़ेगा आपको. वादा,अनिल ने बेटी को समझाते हुआ कहा,इस प्रकार कोई महँगी चीज खरीदने के लिए जिद नहीं करते. नहीं पापा,मैं कोई महँगी चीज के लिए जिद नहीं कर रही हूँ. फिर ईशा ने धीरे धीरे खाना पूर्ण किया और कहा,मैं अपने सभी बाल कटवाना चाहती हूँ. सभी प्रकारसे समाझाने पर भी ईशा नहीं मानी और अपना वचन निभाने हेतु ईशा की बात माननी ही पड़ी ।

            अगले दिन अनिल ईशा को स्कूल छोड़ने गया.वहां उसने उसी के आयु का एक गंजा बालक देखा जिसकी और ईशा भागते गयी थ. उसी समय एक महिला ने अनिल से कहा,क्या ईशा आपकी बेटी है ? बहुत ही होनहार लड़की है . मेरा बेटा कैंसर से पीड़ित है और इलाज में उसके सारे बाल खत्म हो गए हैं. वह् इस हालत में स्कूल नहीं आना चाहता था क्योंकि स्कूल में लड़के उसे चिढ़ाते हैं. पर ईशा ने कहा कि वह् भी गंजी होकर स्कूल आयेगी और वह् आ गई। इस कारण देखिये मेरा बेटा भी स्कूल आ गया. आप धन्य हैं कि आपके ऐसी बेटी है अनिल को यह सब सुनकर रोना आ गया और उसने मन ही मन सोचा कि आज बेटी ने सीखा दिया कि प्यार क्या होता है. इस पृथ्वी पर खुशहाल वह् नहीं हैं जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे हैं जो,जिन्हें वे प्यार करते हैं,उनके लिए बदल जाते हैं।

            तुम्हाला मित्रता - बोधकथा - Mitrata | Bodh Katha in Hindi | Moral Story in Hindi | Hindi Bodh Katha | Bodhkatha ही माहिती नक्कीच आवडली असेल तर शेअर करा.

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