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Wednesday, July 5, 2023

देशभक्ति गीत | Desh Bhakti Geet | Desh bhakti geet in Hindi | Desh bhakti geet in Marathi

DESH BHAKTI GEET

देशभक्ति गीत

Desh bhakti geet in Hindi

Desh bhakti geet in Marathi 

देशभक्ति गीत | Desh Bhakti Geet | Desh Bhakti Songs

            देशभक्ति गीत ( Desh Bhakti Geet | Desh bhakti geet in Hindi | Desh bhakti geet in Marathi ) सुनतेही हर व्यक्ति में एक ताकत आजाती है | देश प्रेम और देश के लिए कुछ कर गुज़रने का जज़्बा हर नागरिक में होता है। आज भी देशभक्ति गीत ( Desh Bhakti Geet | Desh bhakti geet in Hindi | Desh bhakti geet in Marathi ) के कई ऐसे गाने हैं जो लोकप्रिय हैं। बदलते वक़्त के साथ इनकी लोकप्रियता में इज़ाफ़ा ही हुआ है। कुछ ऐसे बेशक़ीमती गीत है जो हर नागरिक को वतन के प्रति अपनी मोहब्बत का इज़हार करने के लिए अल्फ़ाज़ देते हैं। देशभक्ति गीत ( Desh Bhakti Geet | Desh bhakti geet in Hindi | Desh bhakti geet in Marathi ) राष्ट्रीय त्यौहार के दिन हर जगह सुनाई देते है | ऐसेही कुछ खास आपके लिए पेश है लोकप्रिय हिंदी और मराठी देशभक्ति गीत ( Desh Bhakti Geet | Desh Bhakti Songs )
            तो चलिए देखते है हिंदी  और  मराठी देशभक्ति गीत ( Desh Bhakti Geet | Desh bhakti geet in Hindi | Desh bhakti geet in Marathi )

देशभक्ति गीत

Desh Bhakti Geet | Desh Bhakti Geet in Hindi

देशभक्ति गीत - Desh Bhakti Geet List

क्रदेशभक्तीपर गीत [ हिंदी ]
क़दम क़दम बढ़ाये जा
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा
सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।
होंगे कामयाब
भारताचे राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम्
मेरे देश की धरती
भारत हमको जान से प्यारा है

भारत माता वंदना
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो
१०हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल
११ऐ मेरे वतन के लोगों
१२ऐ मेरे प्यारे वतन
१३वो भारत देश है मेरा
१४विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
१५मेरे देश की धरती
१६कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथीयों
१७ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम


देशभक्ति गीत - Desh Bhakti Geet List

क्रदेशभक्तीपर गीत [ मराठी ]
१८राष्ट्रगीत
१९वन्दे मातरम
२०हे राष्ट्र देवतांचे
२१झेंडा आमुचा प्रिया देशाचा
२२जिंकू किंवा मरू
२३बलसागर भारत होवो
२४मंगल देशा पवित्र देशा
२५उठा राष्ट्रवीर हो
२६खरा तो एकची धर्म
२७जय जय महाराष्ट्र माझा


हिंदी देशभक्ति गीत

Hindi Desh Bhakti Geet | Desh Bhakti Geet in Hindi


१] क़दम क़दम बढ़ाये जा

क़दम क़दम बढ़ाये जा
ख़ुशी के गीत गाये जा
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा
तू शेर-ए-हिन्द आगे बढ़
मरने से तू कभी न डर
उड़ा के दुश्मनों का सर
जोश-ए-वतन बढ़ाये जा
क़दम क़दम बढ़ाये जा
ख़ुशी के गीत गाये जा
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा
हिम्मत तेरी बढ़ती रहे
ख़ुदा तेरी सुनता रहे
जो सामने तेरे खड़े
तू ख़ाक़ में मिलाये जा
क़दम क़दम बढ़ाये जा
ख़ुशी के गीत गाये जा
ये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा
चलो दिल्ली पुकार के
क़ौमी-निशाँ संभाल के
लाल क़िले पे गाड़ के
लहराये जा लहराये जा
क़दम क़दम बढ़ाये जा
ख़ुशी के गीत गाये जाये ज़िंदगी है क़ौम की
तू क़ौम पे लुटाये जा



२] सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा
ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा
मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
यूनान-ओ-मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा
'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा
- मुहम्मद इक़बाल



३] सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।

सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।
देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है?
वक़्त आने दे बता, देंगे तुझे ऐ आसमाँ!
हम अभी से क्या बतायें, क्या हमारे दिल में है?
काश बिस्मिल आज आते, तुम भी हिन्दोस्तान में;
देखते यह मुल्क कितना, टेन्शन औ' थ्रिल में है।
आज का लड़का ये कहता' हम तो बिस्मिल थक गये;
अपनी आज़ादी तो भैया! लौंडिया के तिल में है।
आज के जलसों में बिस्मिल, एक गूँगा गा रहा;
और बहरों का वो रेला, नाचता महफ़िल में है।
हाथ की खादी बनाने, का ज़माना लद गया;
आज तो चड्ढी भी सिलती, इंग्लिशों की मिल में है।
वक़्त आने दे बता, देंगे तुझे ऐ आसमाँ!
हम अभी से क्या बतायें, क्या हमारे दिल में है?
सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।
देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-क़ातिल में है?



४] होंगे कामयाब

होंगे कामयाब, होंगे कामयाब
हम होंगे कामयाब एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम होंगे कामयाब एक दिन।
हम चलेंगे साथ-साथ, डाल हाथों में हाथ
हम चलेंगे साथ-साथ, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
हम चलेंगे साथ-साथ एक दिन।
होगी शांति चारों ओर,
होगी शांति चारों ओर, एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
होगी शांति चारों ओर एक दिन।
नहीं डर किसी का आज एक दिन
मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास
नहीं डर किसी का आज एक दिन।
- गिरिजा कुमार माथुर



५] भारताचे राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम्

वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्
सुजलां, सुफलां, मलयज शीतलाम्
शश्य श्यामलाम् मातरम्
वन्दे मातरम्
सुब्रज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्
पुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिनीम्
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम्
- बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय



६] मेरे देश की धरती

मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती...
बैलों के गले में जब घुंघरू जीवन का राग सुनाते हैं
ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुस्काते हैं
सुनके रहट की आवाज़ें यूं लगे कहीं शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती...
जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अंगड़ाइयाँ लेती है
क्यूं ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिसने जनम लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा
यहां अपना पराया कोई नहीं है सब पे है मां उपकार तेरा
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती...
ये बाग़ है गौतम नानक का खिलते हैं चमन के फूल यहां
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक, ऐसे हैं अमन के फूल यहां
रंग हरा हरी सिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से
रंग बना बसंती भगत सिंह रंग अमन का वीर जवाहर से
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती...
- गुलशन बावरा



७] भारत हमको जान से प्यारा है

भारत हमको जान से प्यारा है
सबसे न्यारा गुलिस्ताँ हमारा है
सदियों से भारत भूमि दुनिया की शान है
भारत माँ की रक्षा में जीवन कुर्बान है
भारत हमको जान से प्यारा है
सबसे न्यारा गुलिस्ताँ हमारा है
उजड़े नहीं अपना चमन, टूटे नहीं अपना वतन
दुनिया धर धरती कोरी, बरबाद ना कर दे कोई
मंदिर यहाँ, मस्जिद वहाँ, हिंदू यहाँ मुस्लिम वहाँ
मिलते रहें हम प्यार से
जागो!!
हिंदुस्तानी नाम हमारा है, सबसे प्यारा देश हमारा है
जन्मभूमि है हमारी शान से कहेंगे हम
सभी तो भाई-भाई प्यार से रहेंगे हम
हिंदुस्तानी नाम हमारा है
आसाम से गुजरात तक, बंगाल से महाराष्ट्र तक
झनकी रही गुन एक है, भाषा अलग सुर एक है
कश्मीर से मद्रास तक, कह दो सभी हम एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं
जागो!!
भारत हमको जान से प्यारा है
सबसे न्यारा गुलिस्ताँ हमारा है
- पी. के. मिश्रा



८] भारत माता वंदना

हे हिममुकुट धारिणी मात भारती।
देवदुर्लभ जगतवंदित मात भारती।।
अखिल विश्व लहराए पताका आपकी।
जय हो सदा आपकी मात भारती।।
माँ आप शीतलता लिए हिमालय की।
अमृत जल-धारा गंगा यमुना की।।
चरण प्रक्षालन करता हिंद सागर है।
माँ ममता का आप अथाह सागर हैं।।
हे शस्य श्यामला जय हो मात भारती।
अखिल विश्व लहराए, पताका आपकी।।
- नवनीत कुमार गुप्ता



९] ऐ मातृभूमि तेरी जय हो

ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कांतिमय हो
अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में
संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो
तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो
तेरी प्रसन्नता ही आनंद का विषय हो
वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल' सुख में तुझे न भूले
वह शक्ति दे कि दुख में कायर न यह हृदय हो
- रामप्रसाद बिस्मिल



१०] हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल

हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल।
चाँदी सोने हीरे मोती से सजती गुड़ियाँ।
इनसे आतंकित करने की बीत गई घड़ियाँ
इनसे सज धज बैठा करते जो हैं कठपुतले
हमने तोड़ अभी फेंकी हैं बेड़ी हथकड़ियाँ
परंपरा गत पुरखों की हमने जाग्रत की फिर से
उठा शीश पर रक्खा हमने हिम किरीट उज्जवल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल।
चाँदी सोने हीरे मोती से सजवा छाते
जो अपने सिर धरवाते थे वे अब शरमाते
फूलकली बरसाने वाली टूट गई दुनिया
वज्रों के वाहन अंबर में निर्भय घहराते
इंद्रायुध भी एक बार जो हिम्मत से ओटे
छत्र हमारा निर्मित करते साठ कोटि करतल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल।
- हरिवंश राय बच्चन



११] ऐ मेरे वतन के लोगों

ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम ख़ूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने है प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो, जो लौट के घर न आये
ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी
जब घायल हुआ हिमालय, ख़तरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी सांस लड़े वो, फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी
जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो आपने, थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी
कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला, हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पवर्अत पर, वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी
थी खून से लथ पथ काया, फिर बंदूक उठाके
दस दस को एक ने मारा, फिर गिर गये होश गंवा के
जब अन्त -समय आया तो, कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी
तुम भूल न जाओ उनको, इस लिये कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो क़ुर्बानी
जय हिंद...



१२] ऐ मेरे प्यारे वतन

ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझ पे दिल कुरबान
तू ही मेरी आरजू़, तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान
तेरे दामन से जो आए
उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस जुबाँ को
जिसपे आए तेरा नाम
सबसे प्यारी सुबह तेरी
सबसे रंगी तेरी शाम
तुझ पे दिल कुरबान
माँ का दिल बनके कभी
सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं-सी बेटी
बन के याद आता है तू
जितना याद आता है मुझको
उतना तड़पाता है तू
तुझ पे दिल कुरबान
छोड़ कर तेरी ज़मीं को
दूर आ पहुँचे हैं हम
फिर भी है ये ही तमन्ना
तेरे ज़र्रों की कसम
हम जहाँ पैदा हुए उस
जगह पे ही निकले दम
तुझ पे दिल कुरबान
- प्रेम धवन



१३] वो भारत देश है मेरा

जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा
अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले
जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा
जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले
जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले
प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरावो भारत देश है मेरा
- राजेंद्र किशन



१४] विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हरषाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में, लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,
काँपे शत्रु देखकर मन में, मिट जावे भय संकट सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इस झंडे के नीचे निर्भय, हो स्वराज जनता का निश्चय,
बोलो भारत माता की जय, स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
आओ प्यारे वीरों आओ, देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ, प्यारा भारत देश हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पावे, चाहे जान भले ही जावे,
विश्व-विजय करके दिखलावे, तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
- श्यामलाल गुप्त पार्षद



१५] मेरे देश की धरती

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती
बैलों के गले में जब घुँघरू जीवन का राग सुनाते हैं
ग़म कोस दूर हो जाता है खुशियों के कंवल मुसकाते हैं
सुन के रहट की आवाज़ें यों लगे कहीं शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती

जब चलते हैं इस धरती पे हल ममता अँगड़ाइयाँ लेती है
क्यों ना पूजे इस माटी को जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिसने जनम लिया उसने ही पाया प्यार तेरा
यहाँ अपना पराया कोई नही हैं सब पे माँ उपकार तेरा

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती
ये बाग़ हैं गौतम नानक का खिलते हैं अमन के फूल यहाँ
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
रंग हरा हरिसिंह नलवे से रंग लाल है लाल बहादुर से
रंग बना बसंती भगतसिंह रंग अमन का वीर जवाहर से

मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती
मेरे देश की धरती



१६] कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथीयों

कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …

सांस थमती गई, नब्ज जमती गई,
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकपन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …

जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनो को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …

राह कुर्बानियों की ना वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिन्दगी मौत से मिल रही है गले
आज धरती बनी है दुल्हन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …

खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाये ना रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये ना सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों …



१७] ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम

ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों में जां तक लुटा जायेंगे
फूल क्या चीज़ है तेरे कदमों पे हम
भेंट अपने सरों की चढ़ा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन

कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से
कोई यूपी से है, कोई बंगाल से
तेरी पूजा की थाली में लाये हैं हम
फूल हर रंग के, आज हर डाल से
नाम कुछ भी सही पर लगन एक है
जोत से जोत दिल की जगा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन …

तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
तेरी धरती पे है जो कदम ग़ैर का
उस कदम का निशां तक मिटा देंगे हम
जो भी दीवार आयेगी अब सामने
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे


मराठी देशभक्ति गीत

Marathi Desh Bhakti Geet | Desh Bhakti Geet in Marathi



देशभक्ति गीत - Desh Bhakti Geet List

क्रदेशभक्तीपर गीत [ मराठी ]
१८राष्ट्रगीत
१९वन्दे मातरम
२०हे राष्ट्र देवतांचे
२१झेंडा आमुचा प्रिया देशाचा
२२जिंकू किंवा मरू
२३बलसागर भारत होवो
२४मंगल देशा पवित्र देशा
२५उठा राष्ट्रवीर हो
२६खरा तो एकची धर्म
२७जय जय महाराष्ट्र माझा



१८] राष्ट्रगीत

जन गण मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्यविधाता।
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,
द्राविड उत्कल बंग,
विध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा,
उत्कल जलधितरंग,
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मागे,
गाहे तव जय गाथा,
जन गण मंगलदायक जय हो,
भारत भाग्यविधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय हे।
– रवींद्रनाथ टागोर



१९] वन्दे मातरम

वंन्दे मातरम् !
सुजला सुफलां । मलयज शीतलाम्
सस्य श्यामलां । मातरम् । वंन्दे मातरम्।
शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिणीम्
सुहासिनीम् । युमधुर भाषिणीम् ।
सुखदां वरदां मातरम् । वंन्दे मातरम ।
– बंकिमचंद्र चटोपाध्याय



२०] हे राष्ट्र देवतांचे

हे राष्ट्र देवतांचे, हे राष्ट्र प्रेषितांचे
आ-चंद्रसूर्य नांदो स्वातंत्र्य भारताचे

कर्तव्यदक्ष भूमी सीता-रघुत्तमाची
रमायणे घडावी येथे पराक्रमांची
शिर उंच उंच व्हावे हिमवंत पर्वतांचे

येथे नसो निराशा थोड्या पराभवाने
पार्थास बोध केला येथेच माधवाने
हा देश स्तन्य प्याला गीताख्य अमृताचे

येथेच मेळ झाला सामर्थ्य-संयमाचा
येथेच जन्म झाला सिद्धार्थ गौतमाचा
हे क्षेत्र पुण्यदायी भगवन्‌ तथागताचे

हे राष्ट्र विक्रमाचे, हे राष्ट्र शांततेचे
सत्यार्थ झुंज द्यावी या जागत्या प्रथेचे
येथे शिवप्रतापी नरसिंह योग्यतेचे

येथे परंपरांचा सन्मान नित्य आहे
जनशासनातळीचा पायाच ‘सत्य’ आहे
येथे सदा निनादो जयगीत जागृताचे
– ग.दि.माडगूळकर



२१] झेंडा आमुचा प्रिया देशाचा

झेंडा आमुचा प्रिया देशाचा
फडकत वरी महान
करितो आम्ही प्रणाम याला
करितो आम्ही प्रणाम

लढले गांधी याच्याकरिता
टिळक, नेहरू लढली जनता
समरधूरंधर वीर खरोखर
अर्पुनि गेले प्राण
करितो आम्ही प्रणाम याला
करितो आम्ही प्रणाम

भारतमाता आमुची माता
आम्ही गातो या जयगीता
हिमालयाच्या उंच शिरावर
फडकत राही निशाण
करितो आम्ही प्रणाम याला
करितो आम्ही प्रणाम

या देशाची पवित्र माती
जूळती आमुच्या मधली नाती
एक नाद गर्जतो भारता
तुझा आम्हा अभिमान
करितो आम्ही प्रणाम याला
करितो आम्ही प्रणाम

गगनावरी आणि सागरतिरि
सळसळ करिती लाटा लहरी
जय भारत जय, जय भारत जय, गाता ती जयगान
करितो आम्ही प्रणाम याला
करितो आम्ही प्रणाम!



२२] जिंकू किंवा मरू

जिंकू किंवा मरू
माणुसकीच्या शत्रुसंगे
युद्ध आमुचे सुरू
जिंकू किंवा मरू

लढतिल सैनिक, लढू नागरिक
लढतिल महिला, लढतिल बालक
शर्थ लढ्याची करू, जिंकू किंवा मरू

देश आमुचा शिवरायाचा, झाशीवाल्या रणराणीचा
शिर तळहाती धरू, जिंकू किंवा मरू

शस्त्राघाता शस्त्रच उत्तर, भुई न देऊ एक तसूभर
मरू पुन्हा अवतरू, जिंकू किंवा मरू

हानी होवो कितीहि भयंकर, पिढ्या-पिढ्या हे चालो संगर
अंती विजयि ठरू, जिंकू किंवा मरू
– ग.दि.माडगूळकर



२३] बलसागर भारत होवो

बलसागर भारत होवो
विश्वात शोभुनी राहो॥

हे कंकण करि बांधियले जनसेवे जीवन दिधले
राष्ट्रार्थ प्राण हे उरले मी सिध्द मरायाला हो॥१॥

वैभवी देश चढवीन सर्वस्व त्यास अर्पीन
हा तिमिर घोर संहारीन या बंधु सहाय्याला हो॥२॥

हातात हात घालून ह्रदयास ह्रदय जोडून
ऐक्याचा मंत्र जपून या कार्य करायाला हो॥३॥

करि दिव्य पताका घेऊ प्रियभारतगीते गाऊं
विश्वास पराक्रम दावू ही माय निजपदा लाहो॥४॥

या उठा करु हो शर्थ संपादु दिव्य पुरुषार्थ
हे जीवन ना तरि व्यर्थ भाग्यसुर्य तळपत राहो॥५॥

ही माय थोर होईल वैभव दिव्य शोभेल
जगतास शांति देईल तो सोन्याचा दिन येवो॥६॥



२४] मंगल देशा पवित्र देशा

मंगल देशा, पवित्र देशा, महाराष्ट्र देशा
प्रणाम घ्यावा माझा हा श्रीमहाराष्ट्र देशा

राकट देशा, कणखर देशा, दगडांच्या देशा
नाजुक देशा, कोमल देशा, फुलांच्याहि देशा

अंजन कांचन करवंदीच्या काटेरी देशा
बकुलफुलांच्या प्राजक्तीच्या दळदारी देशा

भावभक्तिच्या देशा आणिक बुद्धीच्या देशा
शाहीरांच्या देशा कर्त्या मर्दांच्या देशा

ध्येय जे तुझ्या अंतरी, निशाणावरी, नाचते करी;
जोडी इह पर लोकांसी, व्यवहारा परमार्थासी,

वैभवासि, वैराग्यासी
जरिपटक्यासह भगव्या झेंड्याच्या एकचि देशा
प्रणाम घ्यावा माझा हा श्रीमहाराष्ट्र देशा ॥१॥

अपार सिंधुच्या भव्य बांधवा, महाराष्ट्र देशा
सह्याद्रीच्या सख्या, जिवलगा, महाराष्ट्र देशा

पाषाणाच्या देही वरिसी तू हिरव्या वेषा
गोदा, कृष्णा, भीमा तुझिया ललाटिंच्या रेषा

तुझिया देही करी प्रतिष्ठा प्रथम प्राणांची
मंगल वसती जनस्थानिंची श्रीरघुनाथांची
ध्येय जे तुझ्या अंतरी….. ॥२॥
– गोविंदाग्रज



२५] उठा राष्ट्रवीर हो

उठा राष्ट्रवीर हो
सज्ज व्हा, उठा चला,
सशस्त्र व्हा, उठा चला

युध्द आज पेटले जवान चालले पुढे
मिळूनि सर्व शत्रुला क्षणांत चारु या खडे
एकसंघ होउनि लढू चला लढू चला
उठा उठा, चला चला

लाख संकटे जरी उभी समोर ठाकली
मान ताठ आमुची कुणापुढे न वाकली
थोर वंश आपुला महान मार्ग आपुला
उठा उठा, चला चला

वायुपुत्र होउनी धरु मुठीत भास्करा
होउनी अगस्तिही पिऊनि टाकु सागरा
मन्युबाळ होउनी रणात जिंकू मृत्युला
उठा उठा, चला चला

चंद्रगुप्त वीर तो फिरुनि आज आठवू
शूरता शिवाजिची नसानसात साठवू
दिव्य ही परंपरा अखंड चालवू चला
उठा उठा, चला चला

यज्ञकुंड पेटले प्रचंड हे सभोवती
दुष्ट शत्रू मारुनी तयास देउ आहुती
देवभूमि ही अजिंक्य दाखवू जगा चला
उठा उठा, चला चला
– रवींद्र भट



२६] खरा तो एकची धर्म

खरा तो एकची धर्म जगाला प्रेम अर्पावे

जगी जे हीन अतिपतित, जगी जे दीन पददलित
तया जाऊन उठवावे, जगाला प्रेम अर्पावे

जयांना ना कोणी जगती सदा ते अंतरी रडती
तया जाऊन सुखवावे, जगाला प्रेम अर्पावे

समस्तां धीर तो द्यावा, सुखाचा शब्द बोलावा
अनाथा साह्य ते द्यावे, जगाला प्रेम अर्पावे

सदा जे आर्त अतिविकल, जयांना गांजती सकल
तया जाऊन हसवावे, जगाला प्रेम अर्पावे

कुणा ना व्यर्थ शिणवावे, कुणा ना व्यर्थ हिणवावे
समस्तां बंधु मानावे, जगाला प्रेम अर्पावे

प्रभूची लेकरे सारी तयाला सर्वही प्यारी
कुणा ना तुच्छ लेखावे, जगाला प्रेम अर्पावे

असे जे आपणापाशी असे, जे वित्त वा विद्या
सदा ते देतची जावे, जगाला प्रेम अर्पावे

भरावा मोद विश्वात असावे सौख्य जगतात
सदा हे ध्येय पूजावे, जगाला प्रेम अर्पावे

असे हे सार धर्माचे असे हे सार सत्याचे
परार्थी प्राणही द्यावे, जगाला प्रेम अर्पावे

जयाला धर्म तो प्यारा, जयाला देव तो प्यारा
त्याने प्रेममय व्हावे, जगाला प्रेम अर्पावे
– साने गुरुजी



२७] जय जय महाराष्ट्र माझा, 

जय जय महाराष्ट्र माझा, गर्जा महाराष्ट्र माझा
रेवा वरदा, कृष्ण कोयना, भद्रा गोदावरी
एकपणाचे भरती पाणी मातीच्या घागरी
भीमथडीच्या तट्टांना या यमुनेचे पाणी पाजा
जय जय महाराष्ट्र माझा …

भीती न आम्हा तुझी मुळी ही गडगडणार्‍या नभा
अस्मानाच्या सुलतानीला जवाब देती जीभा
सह्याद्रीचा सिंह गर्जतो, शिवशंभू राजा
दरीदरीतून नाद गुंजला महाराष्ट्र माझा

काळ्या छातीवरी कोरली अभिमानाची लेणी
पोलादी मनगटे खेळती खेळ जीवघेणी
दारिद्र्याच्या उन्हात शिजला, निढळाच्या घामाने भिजला
देशगौरवासाठी झिजला



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