Vyanjan Sandhi Marathi
व्यंजन संधी व त्याचे नियम
Vyanjan Sandhi in Marathi
Vyanjan Sandhi v Tyache Niyam
व्यंजन संधी व त्याचे नियम ( Vyanjan Sandhi Marathi | Vyanjan Sandhi in Marathi | Vyanjan Sandhi v Tyache Niyam ) :-
व्यंजन संधी ( Vyanjan Sandhi ) बघण्यागोदर आपल्याला संधी म्हणजे काय ते माहित असणे गरजेचे आहे. आपण बोलत असताना आपल्याला नवनवीन शब्दांची ओळख होत असते. बऱ्याच वेळी काही शब्द असतात जे दोन वेगवेगळ्या शब्दांपासून बनलेले असतात परंतु आपण त्यांचा उच्चार एकत्र करत असतो.
उदाहरणार्थ :-
'गुरूपदेश' हा शब्द गुरू + उपदेश या दोन शब्दांपासून तयार झालेला आहे. तसेच
विग्रह वर्णसंधी संधी ज्ञान + ईश्वर अ + ई = ए ज्ञानेश्वर अरूण + उदय अ + उ = ओ अरूणोदय राजा + औदार्य आ + औ = औ राजौदार्य यश: + धन - यशोधन सम् + आचार म् + आ समाचार सत् + जन त् + ज् = ज् सज्जन
| विग्रह | वर्णसंधी | संधी |
|---|---|---|
| ज्ञान + ईश्वर | अ + ई = ए | ज्ञानेश्वर |
| अरूण + उदय | अ + उ = ओ | अरूणोदय |
| राजा + औदार्य | आ + औ = औ | राजौदार्य |
| यश: + धन | - | यशोधन |
| सम् + आचार | म् + आ | समाचार |
| सत् + जन | त् + ज् = ज् | सज्जन |
वरील प्रमाणे जे जोडशब्द तयार होतात त्यांनाच संधी असे म्हणतात.
हे पण पहा :- मराठी शब्दांच्या जाती
संधी म्हणजे काय ?
➤ पहिल्या शब्दातील शेवटचा वर्ण व दुस-या शब्दातील पहिला वर्ण हे एकमेकांमध्ये मिसळून त्या दोहोंबद्दल एकच वर्ण तयार होतो. वर्णाच्या अशा एकत्र होण्याच्या प्रकारास 'संधी' ( Sandhi ) असे म्हणतात.
उदाहरणार्थ :-
उदाहरणार्थ :-
विग्रह वर्णसंधी संधी ज्ञान + ईश्वर अ + ई = ए ज्ञानेश्वर अरूण + उदय अ + उ = ओ अरूणोदय राजा + औदार्य आ + औ = औ राजौदार्य यश: + धन - यशोधन सम् + आचार म् + आ समाचार सत् + जन त् + ज् = ज् सज्जन
| विग्रह | वर्णसंधी | संधी |
|---|---|---|
| ज्ञान + ईश्वर | अ + ई = ए | ज्ञानेश्वर |
| अरूण + उदय | अ + उ = ओ | अरूणोदय |
| राजा + औदार्य | आ + औ = औ | राजौदार्य |
| यश: + धन | - | यशोधन |
| सम् + आचार | म् + आ | समाचार |
| सत् + जन | त् + ज् = ज् | सज्जन |
तसेच जेव्हा जोडशब्दांना आपण वेगळे करत असतो त्याला आपण त्या जोडशब्दाचा विग्रह म्हणजेच संधीचा विग्रह करणे असे म्हणतो.
संधीचे प्रकार पुढील प्रमाणे आहेत.
➤ स्वरसंधी [ Swar Sandhi ]
➤ व्यंजनसंधी [ Vyanjan Sandhi ]
➤ विसर्गसंधी [ Visarg Sandhi ]
चला तर मग आता 'व्यंजन संधी' ( Vyanjan Sandhi ) म्हणजे काय ?
व्यंजन संधी म्हणजे काय ?
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह स्वर / व्यंजन संधी विपद् + काल द् + क् = त् विपत्काल वाग् + पति ग् + प् = क् वाक्पति अच् + अंत च् + अं = ज् अजंत वट् + आनन ट् + आ = ड् वडानन सत् + इच्छा त् + इ = द् सदिच्छा जगत् + नाथ त् + न् = न् जगन्नाथ सत् + जन त् + ज् = ज् सज्जन
| विग्रह | स्वर / व्यंजन | संधी |
|---|---|---|
| विपद् + काल | द् + क् = त् | विपत्काल |
| वाग् + पति | ग् + प् = क् | वाक्पति |
| अच् + अंत | च् + अं = ज् | अजंत |
| वट् + आनन | ट् + आ = ड् | वडानन |
| सत् + इच्छा | त् + इ = द् | सदिच्छा |
| जगत् + नाथ | त् + न् = न् | जगन्नाथ |
| सत् + जन | त् + ज् = ज् | सज्जन |
वर्ण वर्ग तक्ता
वर्ण वर्ग १ २ ३ ४ ५ 'क' वर्ग
क्
ख्
ग्
घ्
ङ
'च' वर्ग
च्
छ्
ज्
झ्
ञ
'ट' वर्ग
ट्
ठ्
ड्
ढ्
ण्
'त' वर्ग
त्
थ्
द्
ध्
न्
'प' वर्ग
प्
फ्
ब्
भ्
म्
| वर्ण वर्ग | १ | २ | ३ | ४ | ५ |
|---|---|---|---|---|---|
'क' वर्ग | क् | ख् | ग् | घ् | ङ |
'च' वर्ग | च् | छ् | ज् | झ् | ञ |
'ट' वर्ग | ट् | ठ् | ड् | ढ् | ण् |
'त' वर्ग | त् | थ् | द् | ध् | न् |
'प' वर्ग | प् | फ् | ब् | भ् | म् |
➤ १ व २ हे कठोर वर्ण आहेत.
➤ ३ व ४ हे मृदू वर्ण आहेत.
➤ ५ हे अनुनासिके आहेत.
हे पण पहा :- विभक्ती व त्यांचे प्रकार
व्यंजन संधीचे नियम पुढीलप्रमाणे आहे.
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह बद्दल पहिले वर्ण संधी आपद् + काल द् = त् आपत्काल षड् + शास्त्र ड = ट् षट्शास्त्र वाग् + पति ग् = क् वाक्पति क्षुध् + पिपासा ध् = त् क्षुत्पिपासा
| विग्रह | बद्दल पहिले वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| आपद् + काल | द् = त् | आपत्काल |
| षड् + शास्त्र | ड = ट् | षट्शास्त्र |
| वाग् + पति | ग् = क् | वाक्पति |
| क्षुध् + पिपासा | ध् = त् | क्षुत्पिपासा |
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह बद्दल तिसरे वर्ण संधी सत् + आनंद त् = द सदानंद अप् + ज प् = ब अब्ज वट् + आनन ट् = ड वडानन अच् + अंत च् = ज अजंत वाक् + देवी क् = ग वाग्देवी
| विग्रह | बद्दल तिसरे वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| सत् + आनंद | त् = द | सदानंद |
| अप् + ज | प् = ब | अब्ज |
| वट् + आनन | ट् = ड | वडानन |
| अच् + अंत | च् = ज | अजंत |
| वाक् + देवी | क् = ग | वाग्देवी |
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह कठोर व्यंजन संधी सत् + मार्ग त् = न् सन्मार्ग सत् + मती त् = न् संमती जगत् + नाथ त् = न् जगन्नाथ षट् + मास ट् = ण् षण्मास वाक् + निश्चय क् = ङ वाड्निश्चय
हे पण पहा :- समास व त्यांचे प्रकार
| विग्रह | कठोर व्यंजन | संधी |
|---|---|---|
| सत् + मार्ग | त् = न् | सन्मार्ग |
| सत् + मती | त् = न् | संमती |
| जगत् + नाथ | त् = न् | जगन्नाथ |
| षट् + मास | ट् = ण् | षण्मास |
| वाक् + निश्चय | क् = ङ | वाड्निश्चय |
➽ 'त्' चे नियम
उदाहरणार्थ :-
विग्रह वर्ण संधी चलत् + चित्र त् + च् = च् चलच्चित्र सत् + चरित्र त् + च् = च् सच्चरित्र उत् + छेद त् + छ् = च् उच्छेद
| विग्रह | वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| चलत् + चित्र | त् + च् = च् | चलच्चित्र |
| सत् + चरित्र | त् + च् = च् | सच्चरित्र |
| उत् + छेद | त् + छ् = च् | उच्छेद |
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी सत् + जन त् + ज् = ज् सज्जन शरत् + झंझावात त् + झ् = ज् शरज्झंझावात उत् + ज्वल त् + ज् = ज् उज्ज्वल
| विग्रह | वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| सत् + जन | त् + ज् = ज् | सज्जन |
| शरत् + झंझावात | त् + झ् = ज् | शरज्झंझावात |
| उत् + ज्वल | त् + ज् = ज् | उज्ज्वल |
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी भगवत् + डमरू त् + ड् = ड् भगवड्डमरू उत् + डान त् + ड् = ड् उड्डान
| विग्रह | वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| भगवत् + डमरू | त् + ड् = ड् | भगवड्डमरू |
| उत् + डान | त् + ड् = ड् | उड्डान |
नियम ४] ‘त्’ च्यापुढे ‘ट्’ आल्यास ‘त्’ चा ‘ट्’ होतो.
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी तत् + टीका त् + ट् = ट् तट्टीका
| विग्रह | वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| तत् + टीका | त् + ट् = ट् | तट्टीका |
हे पण पहा :- विशेषण व त्याचे प्रकार
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी तत् + लीन त् + ल् = ल् तल्लीन उत् + लंघन त् + ल् = ल् उल्लंघन
| विग्रह | वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| तत् + लीन | त् + ल् = ल् | तल्लीन |
| उत् + लंघन | त् + ल् = ल् | उल्लंघन |
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी सत् + शील त् + श् = च् + छ् सच्छील उत् + श्वास त् + श् = च् + छ् उच्छवास सत् + शिष्य त् + श् = च् + छ् सच्छिष्य
| विग्रह | वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| सत् + शील | त् + श् = च् + छ् | सच्छील |
| उत् + श्वास | त् + श् = च् + छ् | उच्छवास |
| सत् + शिष्य | त् + श् = च् + छ् | सच्छिष्य |
➽ 'म्' चे नियम
व्यंजन संधी चे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी सम् + आप्त म् + आ समाप्त सम् + आचार म् + आ समाचार सम् + आलोचन म् + आ समालोचन सम् + ताप म् + त् संताप सम् + गती म् + ग् संगती सम् + चय म् + च् संचय सम् + कल्प म् + क् संकल्प किम् + कर म् + क् किंकर
| विग्रह | वर्ण | संधी |
|---|---|---|
| सम् + आप्त | म् + आ | समाप्त |
| सम् + आचार | म् + आ | समाचार |
| सम् + आलोचन | म् + आ | समालोचन |
| सम् + ताप | म् + त् | संताप |
| सम् + गती | म् + ग् | संगती |
| सम् + चय | म् + च् | संचय |
| सम् + कल्प | म् + क् | संकल्प |
| किम् + कर | म् + क् | किंकर |

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